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sanskrit 2022 -23

आधुनिक शिक्षाप्रणाली के दोष

नमस्कार मित्रो! शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य चरित्र-निर्माण करना है लेकिन आधुनिक शिक्षा अपने उद्देश्य के ठीक विपरीत असर दिखा रही है।  वर्तमान सामाजिक उथल-पुथल का एक बड़ा ...

नारी की महत्ता

नमस्कार मित्रो! आज वर्तमान विश्व नारी समाज की महत्ता को बड़ी कठिनाई से स्वीकार कर रहा है।यह स्थिति दुःखद है। विश्व को परम् वैभव तक पहुँचाने हेतु हमे नारी की महत्ता को सहर्ष स्वीकार करना होगा। नर वपन कर सकता है परंतु सृजन की शक्ति उसमें नहीं है। नारी(प्रकृति)के आभाव में पुरूष पंगु है। शक्ति के बिना शिव शव-समान हैं। ब्रह्मा सृष्टि करने चले, बहुत-सी मानसिक सृष्टि कर डाली, कोई उत्साह नहीं, वृद्धि की कोई आशा नहीं। नीरस नर कर ही क्या सकता है। सूखे आटे में जल न पड़े ,सरस न हो,तबतक रोटी नहीं बन सकती। ब्रह्मा हताश हुए।अब क्या करें।अंत में ब्रह्मा के दो रूप हो गए। एक से नारी दूसरे से नर।दोनों में कोई अंतर नहीं, छोटे बड़े का भेद  नहीं। परन्तु एक बात ध्यान देने योग्य ह,ै ब्रह्मा के नारी रूप में मृदुलता,सौम्यता, सुकुमारता, मादकता, धैर्य, क्षमा,वशीकारिता, सुंदरता,सरसता,त्याग तथा आकर्षण नर से अधिक हुआ। तब जाकर सृष्टि की वृद्धि आरम्भ हुई।यदि नारी न होती तो सृष्टि कभी नहीं होती। शास्त्रों में भगवान को माता तथा पिता दोनों कहा गया है। ईश्वर का मातृरूप और पितृरूप दोनों ही है लेकिन संतान का जितना स्न...

साम्प्रदायिकता और हिंदुत्व

नमस्कार मित्रों! दुर्भाग्य से हिंदुत्व और साम्प्रदायिकता दोनों पर्यायवाची शब्द बन चुके हैं। आज अधिकांश भारतीय और संसार के प्रमुख व्यक्ति, जो हिंदुत्व को नहीं समझ पाये ...