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अक्षय नवमी2017, पूजन विधि और महत्व

कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी,आवंला नवमी या कुष्मांड नवमी के नाम से जाना जाता है।  मुख्यतः यह पर्व उत्तर तथा मध्य भारत में अति श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया जाता है।
अक्षय नवमी मुहूर्त 2017-इस वर्ष यानि 2017 में यह पर्व 29 अक्टूबर दिन रविवार को ( मुहूर्त प्रातः 6 बजे से 12 बजे तक)मनाया जाएगा। सुविधानुसार पूरा दिन भी मनाया जा सकता है

मान्यता- मान्यतानुसार द्वापरयुग का प्रारम्भ अक्षय नवमी को हुआ था। द्वापरयुग के नायक भगवान कृष्ण इसी दिन अपने अवतार लेने के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए गोकुल से मथुरा गए थे।

पूजन विधि- आवंले के वृक्ष में भगवान विष्णु का वास माना जाता है। तो आइये जानते हैं अक्षय नवमी के दिन आवंले के वृक्ष की पूजा कैसे की जाती है।सबसे पहले आवंले के वृक्ष का पास साफ सफाई कर लें। आवंले के जड़ के पास जल से लिपाई कर लें। फिर भगवान विष्णु का स्मरण कर दीप, अगरबत्ती, रोली,चंदन, अक्षत,मिष्ठान्न आदि अर्पित करें। फिर आवंले के वृक्ष को कच्चे धागे से लपेटें। विष्णु का स्मरण करते हुए सात बार परिक्रमा करें। विष्णुजी की आरती करें।

आवंला वृक्ष का महत्व- आवंले की महत्ता को देखते हुए अक्षय नवमी को आवंले के पास भोजन बनाया जाता है।आवंले की पूजा की जाती है।इसीलिए इस तिथि को आवंला नवमी के नाम से जाना जाता है। आवंला आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर होता है अतः इस दिन आवंले केसेवन का भी महत्व होता है। आवंला कुष्ठ रोग में बहुत लाभकारी होता है ।

कुष्मांड नवमी-                                          अक्षय नवमी को कुष्मांड(भथुआ)
के दान का बहुत महत्व होता है।इस दिन को कुष्मांड नवमी के नाम से भी जाना जाता है।

अक्षय नवमी पूजन के लाभ-आवंला पूजन से संतान सुख की प्राप्ति होती है। घर मे सुख शांति का वास होता है। आरोग्यता की प्राप्ति होती है।

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