यज्ञ प्रधान भारतीय संस्कृति में हवन का महत्वपूर्ण स्थान है। देवता हवन के द्वारा ही पुष्ट होकर मनुष्यों की कामनाएँ पूरी करते हैं। हवन पूर्णतया वैज्ञानिक प्रक्रिया है तथा हवन हमारी प्रकृति के लिए भी अनिवार्य है।हमें नियमित हवन करना चाहिए क्योंकि यह नकारात्मक प्रभावों को समाप्त करने का सबसे अच्छा तरीका माना गया है । हवन की अग्नि में डाली गई प्रत्येक आहूति देवताओं को प्राप्त होती है। तो आइये जानते हैं संक्षिप्त हवन विधि और वेदी निर्माण के बारे में। यह पोस्ट उन सभी व्यक्तियों के लिए लाभदायक होगा जो जानकारी के अभाव में स्वयं हवन नहीं कर पाते हैं। इस पोस्ट के द्वारा शास्त्रीय रीति से नित्य हवन विधि और वेदी निर्माण के बारे में जानकारी प्राप्त हो सकती है।
हिन्दी संस्कृत अभ्यास करना अभि + अस् - अभ्यसति अनुकरण करना अनु + कृ - अनुकरोति अनुगमन करना अनु + गम् - अनुगच्छति अनुगमन करना अनु + चर् - अनुचरति अनुगमन करना अनु + वृत् - अनुवर्तते अनुगमन करना अनु + सृ - अनुसरति अनुग्रह करना अनु + गृह् - अनुगृह्णाति अनुमोदन करना सम् ± मन् · सम्मन्यते अस्वीकार करना अप + ज्ञा - अपजानीते अवज्ञा करना अव + ज्ञा - अवजानीते अनुनय करना अनु + नी - अनुनयति अनुभव करना अनु + भू - अनुभवति अनादर करना अव + मन् - अवमन्यते अच्छा लगना रुच् - रोचते अच्छा दिखना शुभ् - शोभते अच्छा दिखना वि + लस् - विलसति अभिनन्दन करना अभि± नन्द् · अभिनन्दति अभिलाषा करना अभि + लस् - अभिलषति अभिलाषा करना काङ्क्ष - काङ्क्षते अदृश्य होना अन्तर् + धा - अन्तर्दधाति अनुमोदन करना मण्ड् - मण्डयति आिंलगन करना श्लिष् - श्लिष्यति आिंलगन करना आ + श्लिष् - आश्लिष्यति आशा करना आ + शंस् - आशंसते आना आ + गम् - आगच्छति आना सम् + आ - समागच्छति आना आ + या - आयाति आज्ञा देना (अनुमोदन करना) अनु + मन् - अनुमन्यते आज्ञा देना आ + दिश् - आदिशति आक्रमण करना अभि + द्रु - अभिद्रोग्धि आराधना करना आ + राध् - आराधयति आनन्...
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