नमस्कार मित्रो!
आज आप सब भारतीय संस्कृति में पूजित होने वालीं सोलह देवमाता तथा सोलह लोकमताओं के बारे में जानेंगे।इन्हें भारतीय संस्कृति में षोडश मातृका के नाम से जाना जाता है। हमारा जीवन केवल जन्म देनेवाली माता से नहीं बनता।हमारे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में माताओं की अलग अलग भूमिका होती है। इस लेख के माध्यम से आप जानेंगे कि हमारे जीवन को प्रकाशित करने के लिए निज जीवन को बाती की तरह जलाने वाली माताएँ कौन हैं। साथ ही देवमताओं के बारे में भी जानेंगे जिनकी पूजा के बिना हिंदुओं का कोई मांगलिक कार्य पूर्ण नहीं होता।
आज आप सब भारतीय संस्कृति में पूजित होने वालीं सोलह देवमाता तथा सोलह लोकमताओं के बारे में जानेंगे।इन्हें भारतीय संस्कृति में षोडश मातृका के नाम से जाना जाता है। हमारा जीवन केवल जन्म देनेवाली माता से नहीं बनता।हमारे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में माताओं की अलग अलग भूमिका होती है। इस लेख के माध्यम से आप जानेंगे कि हमारे जीवन को प्रकाशित करने के लिए निज जीवन को बाती की तरह जलाने वाली माताएँ कौन हैं। साथ ही देवमताओं के बारे में भी जानेंगे जिनकी पूजा के बिना हिंदुओं का कोई मांगलिक कार्य पूर्ण नहीं होता।
भारतीय संस्कृति में माता का स्थान सबसे ऊँचा है। ब्रह्मा,विष्णु तथा महेश भी मातृ स्नेह पाने की इच्छा रखते हैं। भारतीय संस्कृति में षोडश मातृका पूजन की परंपरा वैदिक है । पुराणों ने भी षोडश मातृका(सोलह माताओं) की स्तुति की है। ये षोडश मातृकाएँ जन्म से मृत्यु तक मनुष्य के जीवन में अलग-अलग भूमिकाओं का निर्वहन करतीं हैं। अतः ये माताएँ पूज्या होती हैं। तो आइए सबसे पहले जानते हैं षोडश(सोलह) देवमताएँ कौन-कौन सी हैं-
टिप्पणियाँ