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sanskrit 2022 -23

कुबेर कौन थे ?

धार्मिक

कुबेर जिन्हें धनेश ,धनाधीश,धनाधिपति, राजाधिराज, वैश्रवण आदि नामों से भी जाना जाता है।
दीपावली तथा धनतेरस के अवसर पर कुबेर की पूजा महालक्ष्मी के साथ पुरे विधि-विधान से की जाती है।
परिचय-- महर्षि पुलस्त्य के पुत्र विश्रवा ने ऋषि भरद्वाज की पुत्री इलविला का पाणिग्रहण किया।उसीसे कुबेरजी की उत्पत्ति हुई।विश्रवा की दूसरी पत्नी का नाम केशनी था,जिससे रावण,विभीषण तथा कुम्भकर्ण का जन्म हुआ।इस प्रकार रावण,कुबेर जी का सौतेला भाई था। कुबेर की पत्नी भद्रा थी।कुबेर के दो पुत्र हुए-नलकूबर और मणिग्रीव जो देवर्षि नारद द्वारा शापित हुए।द्वापरयुग में श्रीकृष्ण ने इनदोनों का उद्धार किया।
कुबेर को ब्रह्मा ने समस्त सम्पत्ति का स्वामी बनाया।
ये अलकापुरी में रहते हैं जो  उत्तर दिशा में कैलास पर्वत के पास है ।
कुबेर का स्वरुप--- कुबेर अष्टदन्त हैं,इनके तीन चरण हैं, श्वेतवर्ण तथा तुन्दील शरीर है ,गदा धारण किये रहते हैं। कुबेर अपनी अतिविशाल वैश्रवणी सभा में यक्ष,गन्धर्व ,किन्नर अप्सराओ के साथ विराजते हैं। इनके पुत्र नलकूबर तथा मणिग्रीव सदैव इनके पास ही रहते हैं। कुबेर के अनुचर यक्ष हमेशा इनकी सेवा में तत्पर रहते हैं।
महाकवि कालिदास ने मेघदूत नामक काव्य में यक्ष तथा कुबेर की अलकापूरी का भव्य वर्णन किया है।
कुबेर देवता विश्रवा के पुत्र हैं अतः इन्हें वैश्रवण कहा जाता है। यज्ञ, पूजन आदि कार्यों कुबेर की निम्नलिखित मन्त्रों से पुष्पांजलि देने की प्रथा है--
ॐ राजाधिराजाय प्रसह्य साहिने नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे। स मे कमान कामकामाय मह्यं कामेश्वरो वैश्रवणो ददातु।कुबेराय वैश्रवणाय महाराजाय नमः।

इन मंत्रो द्वारा कुबेर को प्रसन्न किया जाता है। कुबेर की प्रसन्नता से ही ऐश्वर्य की प्रप्ति हो सकती है।
धरती पर और धरती में जितने कोष (Bank) सबके अधिपति कुबेर जी ही हैं। इन्हीं की कृपा से खजाने (भूगर्भीय धन) की प्राप्ति होती है। कुबेर देव मनुष्य के सामर्थ्य के आधार पर कोष को प्रकट करते हैं तथा उसे छिपा लेते हैं। किसी पुण्यात्मा और योग्य व्यक्ति के शासन में कुबेर देवता सभी ऐश्वर्यों को स्वयं ही प्रकट करते हैं।

कुबेर राजाधिराज कहे जाते हैं और इनके साथ राज्यश्री(लक्ष्मी) का साक्षात वास होता है।इसीलिये लक्ष्मी के साथ कुबेर की पूजा की जाती है।
कुबेर उत्तर दिशा के अधिपति भी हैं। कुबेर ,भगवान शंकर के सखा हैं अतः इनकी पूजा से भगवान शंकर भी प्रसन्न हो जाते हैं।

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