शिक्षा और दर्शन का सम्बन्ध अन्योन्याश्रय है।
शिक्षा-दर्शन दो शब्दों शिक्षा और दर्शन के योग से बना है।दर्शन जीवन के विभिन्न पक्षों को स्पर्श करता है और शिक्षा भी जीवन का महत्वपूर्ण पक्ष है, जो दर्शन से सबसे ज्यादा प्रभावित होती
है।
जान डीवी के अनुसार शिक्षा का अपना स्वतन्त्र दर्शन होता है, जिसे हम दर्शन शास्त्र कहते हैं; उसका उद्भव शिक्षा की ज्वलन्त समस्याओं से हुआ है। साधारण अर्थ में शिक्षा दर्शन, दर्शन की वह शाखा है जिसमें दार्शनिक सिद्धान्तों का प्रयोग शिक्षा के सम्बंध में होता है। शिक्षा दर्शन मानव का वह दृष्टकोण है जो सीखने सिखाने या अनुभव ज्ञान प्राप्त करने की क्रिया से सम्बंधित प्रसंगों की व्याख्या करता है। शिक्षा दर्शन प्रमुख शैक्षिक समस्याओं का दार्शनिक विवेचन कर उसका हल प्रस्तुत करता है।
शिक्षा दर्शन के क्षेत्र- शिक्षा का सम्बन्ध मानव के पूरे जीवन से होता है और यह सामाजिक प्रक्रिया के संचालन का केन्द्र रहा है। इसलिये शिक्षा दर्शन के अंतर्गत हम निम्नलिखित बातों का अध्ययन करते हैं।
1) शिक्षा का स्वरूप और प्रकृति- शिक्षा दर्शन शिक्षा के स्वरुप ,प्रकृति एवं सम्बन्धो का अध्ययन करता है। यह तय करता है कि शिक्षा क्या है ?
हिन्दी संस्कृत अभ्यास करना अभि + अस् - अभ्यसति अनुकरण करना अनु + कृ - अनुकरोति अनुगमन करना अनु + गम् - अनुगच्छति अनुगमन करना अनु + चर् - अनुचरति अनुगमन करना अनु + वृत् - अनुवर्तते अनुगमन करना अनु + सृ - अनुसरति अनुग्रह करना अनु + गृह् - अनुगृह्णाति अनुमोदन करना सम् ± मन् · सम्मन्यते अस्वीकार करना अप + ज्ञा - अपजानीते अवज्ञा करना अव + ज्ञा - अवजानीते अनुनय करना अनु + नी - अनुनयति अनुभव करना अनु + भू - अनुभवति अनादर करना अव + मन् - अवमन्यते अच्छा लगना रुच् - रोचते अच्छा दिखना शुभ् - शोभते अच्छा दिखना वि + लस् - विलसति अभिनन्दन करना अभि± नन्द् · अभिनन्दति अभिलाषा करना अभि + लस् - अभिलषति अभिलाषा करना काङ्क्ष - काङ्क्षते अदृश्य होना अन्तर् + धा - अन्तर्दधाति अनुमोदन करना मण्ड् - मण्डयति आिंलगन करना श्लिष् - श्लिष्यति आिंलगन करना आ + श्लिष् - आश्लिष्यति आशा करना आ + शंस् - आशंसते आना आ + गम् - आगच्छति आना सम् + आ - समागच्छति आना आ + या - आयाति आज्ञा देना (अनुमोदन करना) अनु + मन् - अनुमन्यते आज्ञा देना आ + दिश् - आदिशति आक्रमण करना अभि + द्रु - अभिद्रोग्धि आराधना करना आ + राध् - आराधयति आनन्...
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