भारतीय समाज और होली
होली भारतीय जनमानस की चतुर्दिक खुशहाली और वैभव को दर्शाती है, क्योंकि अस्वस्थ और विपन्न समाज रंगोत्सव नहीं मना सकताl विश्व के कई देश जहां केवल सर्दी अथवा केवल गर्मी झेलते रहते हैं वहीं भारत छह ऋतु का आनंद लेता हैl ऋतुराज बसंत की मादक प्रकृति में 'वासंती सस्य येष्टि'( होलिका दहन में नए अनाज से हवन करना) हम अनादि काल से करते आ रहे हैंl होली द्वेष भाव से रहित क्षमता से युक्त शोषण विनिर्मुक्त, स्वस्थ समाज का उदाहरण प्रस्तुत करती हैl होली सिद्धांतों की रक्षा करते हुए आसुरी शक्तियों पर विजय प्राप्त कर हर्ष प्रकट करने का उत्सव हैl
भारतीय समाज ने हिरण्याक्ष, हिरण्यकशिपु, शुंभ, निशुंभ, चंड, मुंड, महिषासुर ,वृत्रासुर ,रावण, दुर्योधन जैसी अनेकानेक आसुरी शक्तियों पर विजय प्राप्त किया हैl यदि उपरोक्त असुरों के अत्याचार और उनकी शक्तियों की तुलना वर्तमान के जाहिल जिहादी आतंकवादियों तथा आतंकवादी संगठन जैसे आईएसआईएस बोको हराम अल कायदा आदि से की जाए तो उनके सामर्थ्य के सामने यह आसुरी शक्तियां फिसड्डी साबित होती हैंl वर्तमान की आसुरी शक्तियों को यह भ्रम है कि भारत में गजवा ए हिंद कभी सफल होगा इस प्रकार का भ्रम उन्हें ही हो सकता है जिनको भारतीय इतिहास का सच्चा ज्ञान नहीं हैl
अतीत बताता है कि भारतीय समाज ने जब करवट लिया है, परिवर्तन हुआ हैl होलिका जली है रक्तबीज का भक्षण हुआ है दशानन के सिर कटे हैं दुर्योधन के जंघे तोड़े गए हैं शंकर ने तांडव किया हैl
मैं ही परमपिता विष्णु हूं इस स्वघोषित अहंकार वाक्य को समूल नष्ट करने का बीड़ा प्रह्लाद ने उठायाl भारतीय समाज ने कभी भी अपने लोगों के द्वारा किया गया अन्याय का भी समर्थन नहीं कियाl विभीषण ने रावण का प्रहलाद ने हिरण्यकशिपु का सुग्रीव ने बाली का परित्याग कर दियाl ब्रह्मा का वरदान भी अनीति पूर्ण कार्य में होलिका का साथ नहीं दियाl जिस भारतीय समाज के लगभग सभी उत्सव प्रचंड भीषण अत्याचारी आसुरी शक्तियों पर विजय के फलस्वरूप ही मनाए जाते हैं ,उस समाज को कोई सामर्थ्य हीन कायर और हतोत्साहित समझने की भूल ना करेंl
भारतीय समाज में जो देवता पूजे जाते हैं वह इसलिए नहीं पूजे जाते हैं कि उन्होंने हमारी व्यक्तिगत मनोकामना को पूरा किया है बल्कि वे इसलिए पूजे जाते हैं कि उन्होंने समय-समय पर विश्व स्तर पर पांव पसार चुकी आसुरी शक्तियों को मिटाने के लिए जन जागृति का अभियान चलाया तथा असुरों का नाश कियाl हिरण्यकशिपु के वक्षस्थल को अपने श्रीनख से विदीर्ण करने के कारण हम नरसिंह भगवान को, रावण के 10 सिर को धड़ से अलग करने के कारण श्री राम को ,कंस जरासंघ ,अघासुर, बकासुर तथा तात्कालिक उदंड राजाओं के घमंड को चूर करने के कारण श्री कृष्ण को ,रक्तबीज और महिषासुर जैसे राक्षसों के रक्त का पान करने के कारण मां काली को भारतीय समाज पूजता हैl
भारतीय समाज ने व्यक्तिगत मनोकामना की पूर्ति करने के लिए किसी देवता की पूजा नहीं कीl राष्ट्रहित में समाज हित में तथा विश्व कल्याण के लिए जिन्होंने अपना योगदान दिया हम उनकी पूजा करते हैं तथा उत्सव के रूप में उनके कार्यों का स्मरण करते हैंl
होलिकोत्सव के इस पर्व पर वर्तमान की आसुरी शक्तियों को चिन्हित कर तथा उनके समूल विनाश का उद्योग प्रारंभ करने का प्रण लेना अब आवश्यक हो गया हैl ध्यान रहे विजेता राष्ट्र और समाज ही हर्षित होकर फाग गा सकता है, ढोलक की थाप पर नाच सकता है, तथा अबीर और गुलाल उड़ा सकता हैl
होलिकोत्सव की शुभकामनाएं🙏
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